छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के बस्तर में बाढ़ का कहर, 25 मकान ढहने से सैकड़ों लोग बेघर

Bastar Flood: बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा ब्लॉक में भारी बारिश से बाढ़ आई, जिससे मांदर पंचायत में भारी तबाही हुई. 25 से अधिक घर ढह गए, 100 से अधिक क्षतिग्रस्त हुए, और 50 से अधिक मवेशी बह गए.

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में भी बारिश ने जमकर तबाही मचाई, भारी बारिश का सबसे ज्यादा असर जिले के लोहंडीगुड़ा ब्लॉक के मांदर पंचायत में देखने को मिला, जहां भारी बारिश की वजह से आए बाढ़ ने वहां के रहवासियों का सब कुछ तबाह कर दिया.

प्रशासन से मिले आंकड़ों के मुताबिक इस गांव के 25 मकान पूरी तरह से धराशाई हो गए और 100 से अधिक मकान भी क्षतिग्रस्त हुए है, 50 से अधिक मवेशी बाढ़ के पानी में बह गए और खेतों में भी खड़ी फसल को भी काफी नुकसान पहुंचा है.

हालांकि प्रशासन ने इन बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए एक राहत शिविर बनाई है, लेकिन इस बाढ़ से प्रभावित लोगों की संख्या सैकड़ों में है ऐसे में बीते 2 दिनों से लोग ना ही भरपेट भोजन कर पा रहे है और ना ही इनके घर में अनाज का एक दाना भी बचा है.. बाढ़ उनका सब कुछ बहा ले गया. यहां के लोगों के चेहरे में मायूसी छाई हुई है,और अब सरकार से कुछ राहत मिलने की उम्मीद लगाए बैठे है. घरों में रखे कीमती सामान से लेकर पैसा, बर्तन, कपड़ा सब कुछ बह गया.

25 से ज्यादा मकान पूरी तरह से ढह गई

इस बाढ़ से जो घर पूरी तरह से धराशाई हो गए हैं ,अब वह लोग अपने आशियाने के लिए सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं, प्रभावित महिलाओं और पुरुषों ने बताया कि वह मंजर काफी भयावह था, सोमवार रात से मूसलाधार बारिश और मंगलवार की सुबह 8 बजे से गांव में बाढ़ आने लगा, देखते ही देखते इस बाढ़ ने गांव के पूरे घरों को अपने चपेट में ले लिया, वहीं जितने लोगों के घरों में मवेशी बंधे थे वह भी इस बाढ़ के पानी में बह गए,

मंगलवार (26 अगस्त) की शाम 6:00 बजे तक यही मंजर रहा, कई लोगों ने अपने घरों के छतों में सहारा लिया.. तो कई लोगों को हेलीकॉप्टर की मदद से बाहर निकल गया, ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले साल 2016 में इसी तरह का बाढ़ आया था लेकिन इस बार के बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. उनका पैसा ,सामान, कपड़ा और अनाज , खेत और सरकार को बेचने के लिए रखा गया धान सब कुछ बर्बाद हो गया है.

‘प्रभावितों को नहीं मिला पीएम आवास का लाभ’

इस बाढ़ ने प्रशासन के दावों के भी पोल खोल कर रख दी, इस गांव में ऐसे कई कच्चे मकान हैं जो बाढ़ के पानी में पूरी तरह से ढह गए, इस गांव के रहने वाले बुर्जुग व्यक्ति मनकूराम का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेने के लिए उन्होंने कई बार सरपंच सचिव से लेकर प्रशासन के अधि कारियों को आवेदन दिया, लेकिन ना हीं उन्हें वृद्धा पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है और ना ही पीएम आ वास योजना का लाभ मिला, बाढ़ वाले दिन उनके परिवार के 10 लोग घर में ही मौजूद थे, जिसमें से 8 लोग सुरक्षित बाहर निकल गए, लेकिन मनकुराम और उनका बेटा अपने घर के खपरे की छत में बाढ़ का पानी उतरने तक करीब 6 घंटे का समय भूखे प्यासे बिताया. उन्हें डर बना रहा कि कहीं बाढ़ उन्हें भी बहा के ना ले जाए.

मनकू राम जैसे और भी इस गांव के ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेने के लिए कई बार आवेदन किया लेकिन शासन प्रशासन ने उन्हें आवास योजना का लाभ नहीं दियाअब उनके मकान पूरी तरह से ढह चुके हैं ऐसे में सरकार से यह प्रभावित ग्रामीण उम्मीद लगाए हैं कि सरकार पक्का मकान के लिए उनके गुहार सुन ले.

प्रशासन की टीम कर रही आकलन

इधर जानकारी लगने के बाद जिला प्रशासन के लौंहंडीगुड़ा ब्लॉक अनुविभागीय अधिकारी तहसीलदार और राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुंची ,लौंहडीगुड़ा के राजस्व विभाग के अनुविभागीय अधिकारी नेबताया कि प्रशासन के द्वारा नुकसान का किए गए आकलन में 100 से अधिक परिवार इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं वही 50 से अधिक मवेशी बह गए हैंहालांकि लगातार आकलन किया जा रहा हैऔर सरकार से उचित मुआवजा मिल सके इसके लिए प्रशासन के द्वारा पूरी कोशिश की जा रही है.

वहीं बाढ़ प्रभावितों के लिए गांव के स्कूलों में राहत शिविर बनाया गया है, जहां उनके लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है, इसके अलावा अलग-अलग सामाजिक संगठनों के द्वारा प्रभावित लोगों को कपड़े भी दिए जा रहे हैं

अनुविभागीय अधिकारी का कहना है कि प्रशासन की टीम इस बाढ़ से लोगों को हुए नुकसान का आकलन कर रही है, इसके बाद रिपोर्ट बनाकर प्रशासन को भेजा जाएगा. कोशिश की जाएगी कि इन बाढ़ प्रभावितों को जल्द से जल्द मुआवजा मिल सके फिलहाल सभी जरूरी सामान इन प्रभावित लोगों को प्रशासन की ओर से मुहैया कराया जा रहा है. फिलहाल इस बाढ़ से कोई जनहानि नही हुई है.

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